Sadhana Shahi

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महर्षि दयानंद सरस्वती जयंती (कहानी) प्रतियोगिता हेतु-05-Mar-2024

दिनांक- 05,0 3, 2024 दिवस- मंगलवार प्रदत्त विषय- महर्षि दयानंद जयंती (कहानी) प्रतियोगिता हेतु

वेदों के ज्ञाता, सत्यार्थ प्रकाश के रचयिता, रूढ़ियों व कुरीतियों का अंत करने वाले, गुजरात धरा को धन्य करने वाले, आर्य समाज के संस्थापक, एंग्लो वैदिक कॉलेज के संस्थापक, महर्षि दयानंद अपने गुरु विरजानंद से शिक्षा- दीक्षा लेने के पश्चात उन्हें गुरु दक्षिणा देना चाहते थे। अतः वे गुरु दक्षिणा देने के उद्देश्य से उनके पास 5 लौग लेकर गए और उन्हें गुरु दक्षिणा के रूप में दिये।

लौंग को देखकर गुरु विरजानंद अत्यंत क्रोधित हुए, और उन्होंने कहा, मैंने जो तुम्हें शिक्षा दिया है उसका मूल्य यह पांच लौंग है?

अपने गुरु की बात को सुनकर महर्षि दयानंद जी ने हाथ जोड़कर कहा, हे गुरुवर! मैं एक संन्यासी हूंँ मुझे भिक्षार्जन में जो कुछ मिला मैं वही आपके लिए गुरु दक्षिणा में लेकर आ गया। मेरे पास इसके अलावा और कुछ भी नहीं था।

दयानंद के इस तरह की बात को सुनकर गुरु विरजानंद ने कहा, दया मुझे तुमसे गुरु दक्षिणा तो चाहिए लेकिन यह पांच लौंग नहीं। इन लोंग के अलावा भी तुम्हारे पास कुछ है और मुझे वही गुरु दक्षिणा चाहिए।

अपनी गुरु की बात सुनकर दयानंद जी ने कहा हे गुरुवर! मेरे पास क्या है जो आपको गुरु दक्षिणा के रूप में दे सकता हूंँ ।

तब गुरु विरजानंद जी ने कहा, तुम जो सोचते हो सही सोचते हो और उसे ज़रूर करते हो। तुम दोहरा जीवन नहीं जीते हो, वेदों के ज्ञाता हो, सामाजिक कुरीतियों को नष्ट करने में तुम एड़ी- चोटी का जोर लगा दिए हो, तुम जन-जन में चेतना और जागृति ला सकते हो। मैंने तुम्हारी आंँखों में यह सब कुछ देखा है और मुझे तुमसे यही चाहिए। मैं चाहता हूंँ कि तुम समाज में विद्यमान जाती प्रथा, छुआ-छूत के भेदभाव को नष्ट करो। विधवा विवाह, बाल विवाह, जैसी कुरीतियों को समाज से उखाड़ फेंको यदि तुम यह सब कुछ करने में सफ़ल होते हो, तो यही वास्तव में हमारे लिए तुम्हारी तरफ़ से गुरु दक्षिणा होगी।

तब महर्षि दयानंद ने अपने गुरु से वायदा किया कि मैं यह सब कुछ करने में अपना तन, मन, धन सब कुछ अर्पण कर दूंँगा।

अपने गुरु से इस तरह का वायदा करने के पश्चात स्वामी दयानंद सरस्वती अपने क्रिया-कलापों में तल्लीन हो गए और लोकहित हेतु समाज में विद्यमान कुप्रथाओं का नाश किये।

सीख-एक सच्चा गुरु अपने शिष्य की क्षमता को बख़ूबी समझता है और वह उस क्षमता का सकारात्मक प्रयोग करके समाज में विद्यमान बुराइयों का नाश कर समाज में समाज को प्रकाशित कर सकता है ।

साधना शाही वाराणसी

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3 Comments

Gunjan Kamal

13-Mar-2024 11:13 PM

बहुत खूब

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Mohammed urooj khan

06-Mar-2024 12:43 PM

👌🏾👌🏾

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Shahana Parveen

05-Mar-2024 10:14 PM

बहुत सुंदर 😊👌👌

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